Vinod Kumar Shukla

विनोद कुमार शुक्ल, जन्म 1 जनवरी, 1937 को राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़, में हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 

उनके प्रकाशित कृतियों में शामिल हैं — ‘लगभग जयहिन्द’, ‘वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह’, ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’, ‘अतिरिक्त नहीं’, ‘कविता से लम्बी कविता’, ‘कभी के बाद अभी’, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘पेड़ पर कमरा’ और ‘महाविद्यालय’ (कहानी-संग्रह); ‘नौकर की क़मीज़’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (उपन्यास)।

महत्वपूर्ण गौरव और पुरस्कार:

विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी लेखनी से कई गौरवान्वित पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जैसे कि ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘गजानन माधव मुक्तिबोध फ़ेलोशिप’, ‘राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, ‘शिखर सम्मान’ (म.प्र. शासन), ‘हिन्दी गौरव सम्मान’ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), ‘रज़ा पुरस्कार’, ‘दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान’, और ‘रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार’।

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विनोद कुमार शुक्ल को बुकर अवॉर्ड और अमेरिका में साहित्य का ऑस्कर माने जाने वाले ‘पेन/नेबाकोव अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया गया है।

उपन्यासों का अनुवाद और फ़िल्में:

उनके उपन्यासों का अनूदित अनुवाद इतालवी, मराठी, मलयालम, अंग्रेज़ी और जर्मन भाषाओं में हो चुका है। मणि कौल द्वारा 1999 में ‘नौकर की क़मीज़’ पर एक फ़िल्म बनाई गई जो वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल के 66वें समारोह (2009) में स्पेशल इवेंट पुरस्कार से सम्मानित हुई। ‘आदमी की औरत’ और ‘पेड़ पर कमरा’ सहित कुछ कहानियों पर अमित दत्ता के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘आदमी की औरत’ को भी इस तरह की प्रशंसा मिली कि यह वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल के स्पेशल इवेंट पुरस्कार से सम्मानित हुई।

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