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Acharya Chatursen (Set Of 3 Books): Vaishali Ki Nagarvadhu | Vayam Rakshamah | Somnath
Publisher:
Empty canvas Publishers
| Author:
Acharya Chatursen
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set (Paperback)
₹1,223 ₹978
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Category: Fiction
Page Extent:
1290
1. वैशाली की नगरवधू :
वैशाली की नगरवधू एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था:- ‘‘मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।’’ इसमें भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित है। उपन्यास का मुख्य चरित्र स्वाभिमान और दर्प की साक्षात मूर्ति, लोक-सुन्दरी अम्बपाली, जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केंद्र-बिंदु बनी रही.
2. वयं रक्षामः :
वयं रक्षाम: प्रागैतिहासिक अतीत की कृति है। इसके कथानक के मूलाधार राक्षसराज रावण तथा महापुरुष राम हैं। ‘‘इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गयी बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।. उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है. ’’ आचार्य चतुरसेन शास्त्री
3. सोमनाथ :
सोमनाथ हिन्दी साहित्य के कालजयी उपन्यासों में से है। बहुत कम ऐतिहासिक उपन्यास इतने रोचक और लोकप्रिय हुए हैं। बारह ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ की आस्था अग्रामी है। विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने भी इस मंदिर के वैभव को कई बार लूटा |सूर्यवंशी राजाओं से डरने के बाद भी लूट का सिलसिला सदियो तक चला | सोमनाथ का दूसरा पहलू भी है जो जीवन्त हुआ है | मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती है | घुंघरूओ की झंकार जनमानस के जीवन की लाया को ताल देती है |
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Description
1. वैशाली की नगरवधू :
वैशाली की नगरवधू एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था:- ‘‘मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।’’ इसमें भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित है। उपन्यास का मुख्य चरित्र स्वाभिमान और दर्प की साक्षात मूर्ति, लोक-सुन्दरी अम्बपाली, जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केंद्र-बिंदु बनी रही.
2. वयं रक्षामः :
वयं रक्षाम: प्रागैतिहासिक अतीत की कृति है। इसके कथानक के मूलाधार राक्षसराज रावण तथा महापुरुष राम हैं। ‘‘इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गयी बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।. उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है. ’’ आचार्य चतुरसेन शास्त्री
3. सोमनाथ :
सोमनाथ हिन्दी साहित्य के कालजयी उपन्यासों में से है। बहुत कम ऐतिहासिक उपन्यास इतने रोचक और लोकप्रिय हुए हैं। बारह ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ की आस्था अग्रामी है। विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने भी इस मंदिर के वैभव को कई बार लूटा |सूर्यवंशी राजाओं से डरने के बाद भी लूट का सिलसिला सदियो तक चला | सोमनाथ का दूसरा पहलू भी है जो जीवन्त हुआ है | मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती है | घुंघरूओ की झंकार जनमानस के जीवन की लाया को ताल देती है |
About Author
आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले के चांदोख में हुआ था। ये हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे। आचार्य चतुरसेन के उपन्यास रोचक और दिल को छूने वाले होते हैं। इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर ही आधारित है। आभा इनकी पहली रचना थी। इनकी प्रमुख कृतियाँ सोमनाथ, वयं रक्षामः और वैशाली की नगरवधू इत्यादि हैं.
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