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Bhagwant Anmol (Set Of 2 Books): Bali Umar | Pramey
Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Bhagwant Anmol
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹410 ₹328
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Category: Fiction
Page Extent:
274
1. बाली उमर :
ज़िन्दगी 50-50 के युवा लेखक भगवंत अनमोल अपने लेखन में सामाजिक रूप से संवेदनशील विषयों को उठाते हैं और ‘बाली उमर’ में भी उन्होंने एक ऐसा ही विषय चुना है। उपन्यास का केन्द्र है – बच्चों के बचपन का अल्हड़पन, उनकी शरारतें और ज़िन्दगी के बारे में सब कुछ जान लेने की तीव्र उत्सुकता।
उपन्यास के मुख्य किरदार बच्चे हैं और कथानक एक गाँव का होते हुए भी यह न बच्चों के लिए है और न ही मात्र आंचलिक है। नवाबगंज के दौलतपुर मोहल्ले के बच्चे जहाँ एक ओर अपनी शरारतों से पाठक को उसके बचपन की स्मृतियों में ले जाते हैं तो दूसरी ओर उनके मासूम सवाल हमारे देश-समाज के सम्बन्ध में सोचने पर विवश कर देते हैं। ‘बाली उमर’ बच्चों के माध्यम से अपने समय की राजनीति और जातीय-क्षेत्रीय पहचानों के संघर्ष की पहचान करता उपन्यास भी है। कहीं भाषा के नाम पर, कहीं पहचान के नाम पर वैमनस्य बढ़ता जा रहा है और इन सबके बीच भारतीयता की पहचान धुंधली होती जा रही है, आपसी खाई बढ़ती जा रही है। यह उपन्यास अपने समय के संदर्भों को सही-सही समझने की माँग करता है। शुरू से आखिर तक दिलचस्प किरदारों की मासूम शरारतों के सहारे लेखक ने बहुत रोचक शैली में अपनी बात कही है।
2. प्रमेय :
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘बालकृष्ण शर्मा नवीन’ पुरस्कार से सम्मानित भगवंत अनमोल नये विषयों पर लिखने के लिए जाने जाते हैं। ज़िंदगी 50-50 और बाली उमर के बाद उनका यह तीसरा उपन्यास साइंस फिक्शन, दर्शन और वैचारिकता का एक अद्भुत मिश्रण है। यह एक ऐसे युवा की कहानी है जिसकी परवरिश धार्मिक माहौल में हुई है और वह प्रौद्योगिकी की पढ़ाई कर रहा है। जहाँ एक तरफ तकनीकी यह बताती है कि इस ब्रह्मांण में ईश्वर है ही नहीं तो दूसरी तरफ उसके परिवार ने बचपन से यह सिखाया है कि दुनिया की हर एक वस्तु सिर्फ ईश्वर की देन है। उसका मन इस द्वंद्व में फंसकर रह जाता है। इसी द्वंद्व से निकलने की छटपटाहट है प्रमेय । पढ़ाई के दौरान सूर्यांश का दूसरे मज़हब की लड़की से प्रेम हो जाता है। धार्मिक कट्टरता के कारण इस नवयुगल को अनेक कठिनाइयों का सामना कराता है। इस बीच कुछ ऐसा घटित होता है, जिससे सूर्यांश का सोचने का तरीका ही बदल जाता है। इसी कथानक के आधार पर लेखक ने विज्ञान, आध्यात्म और धर्म के तर्कों के सहारे ब्रह्मांड और ईश्वर की परिकल्पना को समझने का प्रयास किया है।
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Description
1. बाली उमर :
ज़िन्दगी 50-50 के युवा लेखक भगवंत अनमोल अपने लेखन में सामाजिक रूप से संवेदनशील विषयों को उठाते हैं और ‘बाली उमर’ में भी उन्होंने एक ऐसा ही विषय चुना है। उपन्यास का केन्द्र है – बच्चों के बचपन का अल्हड़पन, उनकी शरारतें और ज़िन्दगी के बारे में सब कुछ जान लेने की तीव्र उत्सुकता।
उपन्यास के मुख्य किरदार बच्चे हैं और कथानक एक गाँव का होते हुए भी यह न बच्चों के लिए है और न ही मात्र आंचलिक है। नवाबगंज के दौलतपुर मोहल्ले के बच्चे जहाँ एक ओर अपनी शरारतों से पाठक को उसके बचपन की स्मृतियों में ले जाते हैं तो दूसरी ओर उनके मासूम सवाल हमारे देश-समाज के सम्बन्ध में सोचने पर विवश कर देते हैं। ‘बाली उमर’ बच्चों के माध्यम से अपने समय की राजनीति और जातीय-क्षेत्रीय पहचानों के संघर्ष की पहचान करता उपन्यास भी है। कहीं भाषा के नाम पर, कहीं पहचान के नाम पर वैमनस्य बढ़ता जा रहा है और इन सबके बीच भारतीयता की पहचान धुंधली होती जा रही है, आपसी खाई बढ़ती जा रही है। यह उपन्यास अपने समय के संदर्भों को सही-सही समझने की माँग करता है। शुरू से आखिर तक दिलचस्प किरदारों की मासूम शरारतों के सहारे लेखक ने बहुत रोचक शैली में अपनी बात कही है।
2. प्रमेय :
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘बालकृष्ण शर्मा नवीन’ पुरस्कार से सम्मानित भगवंत अनमोल नये विषयों पर लिखने के लिए जाने जाते हैं। ज़िंदगी 50-50 और बाली उमर के बाद उनका यह तीसरा उपन्यास साइंस फिक्शन, दर्शन और वैचारिकता का एक अद्भुत मिश्रण है। यह एक ऐसे युवा की कहानी है जिसकी परवरिश धार्मिक माहौल में हुई है और वह प्रौद्योगिकी की पढ़ाई कर रहा है। जहाँ एक तरफ तकनीकी यह बताती है कि इस ब्रह्मांण में ईश्वर है ही नहीं तो दूसरी तरफ उसके परिवार ने बचपन से यह सिखाया है कि दुनिया की हर एक वस्तु सिर्फ ईश्वर की देन है। उसका मन इस द्वंद्व में फंसकर रह जाता है। इसी द्वंद्व से निकलने की छटपटाहट है प्रमेय । पढ़ाई के दौरान सूर्यांश का दूसरे मज़हब की लड़की से प्रेम हो जाता है। धार्मिक कट्टरता के कारण इस नवयुगल को अनेक कठिनाइयों का सामना कराता है। इस बीच कुछ ऐसा घटित होता है, जिससे सूर्यांश का सोचने का तरीका ही बदल जाता है। इसी कथानक के आधार पर लेखक ने विज्ञान, आध्यात्म और धर्म के तर्कों के सहारे ब्रह्मांड और ईश्वर की परिकल्पना को समझने का प्रयास किया है।
About Author
साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार से सम्मानित लेखक भगवंत अनमोल उन चुनिन्दा लेखकों में से हैं, जिन्हें हर वर्ग के पाठको ने हाथो-हाथ लिया है. एक ओर जहाँ उन्हें आम पाठको ने खूब सराहा, वहीँ दूसरी ओर अकादमिक और साहित्यिक जगत का भी खूब प्यार मिला. नयी पीढ़ी के लेखकों में भगवंत अग्रिम पंक्ति पर नज़र आते हैं. उनकी किताब 'ज़िन्दगी 50-50' ने हिंदी साहित्य में नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं. किन्नर जीवन पर आधारित आपका उपन्यास 'ज़िन्दगी 50-50' एक ओर जहाँ दैनिक जागरण नील्सन बेस्ट सेलर लिस्ट में कई बार शामिल रहा, वहीँ उसे उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 'बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार' से भी अलंकृत किया गया. इस उपन्यास को कर्नाटक विश्वविद्यालय के परास्नातक के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है और इस किताब पर देश भर के हज़ारो शोधार्थी शोध कर रहे हैं.
दूसरा उपन्यास 'बाली उमर' एक ताज़ा हवा के झोंके जैसा है, इसमें बाल मन में उठ रहे वयस्क सवालो का रोचक अंदाज़ में चित्रण किया गया है.
वहीँ, तीसरा उपन्यास 'प्रमेय' हिंदी साहित्य में नया ट्रेड शुरू करने वाला उपन्यास है. यह साइंस फिक्शन, धर्म और अध्यात्म को एक ही धागे में पिरोता है. असल में यह विज्ञान और धर्म के बीच सत्ता संघर्ष दर्शाता है. इस उपन्यास के लिए आपको 'साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार 2022' से सम्मानित किया गया है.
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