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Gulzar Saab : Hazaar Rahen Mud Ke Dekheen…
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
Yatindra Mishra
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
Yatindra Mishra
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹1,995 ₹1,496
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In stock
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1-4 Days
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ISBN:
SKU
9789357756600
Categories Biography & Memoir, Hindi, New Releases & Pre-orders
Categories: Biography & Memoir, Hindi, New Releases & Pre-orders
Page Extent:
516
“हमको मन की शक्ति देना…, क्या तुमने लिखा है, गुलज़ार ?’ केदारनाथ सिंह ने सवाल किया।
गुलज़ार – ‘जी, मैंने ही लिखा है।
केदारनाथ सिंह ने इस पर जवाब दिया- ‘मुबारक़!, तुम्हारा काम तुम्हारे नाम से आगे निकल गया है… अब और क्या चाहिए!’
‘चाँद के बग़ैर तो तुम गाना लिख ही नहीं सकते…’ – आशा भोसले
गुलज़ार एक ख़ानाबदोश किरदार हैं, जो थोड़ी दूर तक नज़्मों का हाथ पकड़े हुए चलते हैं और अचानक अफ़सानों की मंज़रनिगारी में चले जाते हैं। फ़िल्मों के लिए गीत लिखते हुए कब डायलॉग की दुनिया में उतर जाते हैं, पता ही नहीं चलता। वे शायरी की ज़मीन से फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखते हैं, तो अदब की दुनिया से क़िस्से लेकर फ़िल्में बनाते हैं।
अनगिनत नज़्मों, कविताओं, ग़ज़लों और फ़िल्म गीतों की समृद्ध दुनिया है गुलज़ार के यहाँ, जो अपना सूफ़ियाना रंग लिये हुए शायर का जीवन-दर्शन व्यक्त करती है। इस अभिव्यक्ति में जहाँ एक ओर हमें कवि के अन्तर्मन की महीन बुनावट की जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर सूफ़ियाना रंगत लिये हुए लगभग निर्गुण कवियों की बोली – बानी के क़रीब पहुँचने वाली उनकी आवाज़ या कविता का स्थायी फक्कड़ स्वभाव हमें एकबारगी उदासी में तब्दील होता हुआ नज़र आता है। इस अर्थ में गुलज़ार की कविता प्रेम में विरह, जीवन में विराग, रिश्तों में बढ़ती हुई दूरी और हमारे समय में अधिकांश चीज़ों के संवेदनहीन होते जाने की पड़ताल की कविता है। इस यात्रा में ऐसे कई सीमान्त बनते हैं, जहाँ हम गुलज़ार की क़लम को उनके सबसे व्यक्तिगत पलों में पकड़ने का जतन करते हैं।
एक पुरकशिश आवाज़, समय ‘आईना बनाकर पढ़ने वाली जद्दोजहद, कविताओं की शक्ल में उतरी हुई सहल पर झुकी हुई प्रार्थना… उनका सम्मोहन, उनका जादू, उनकी सादगी और उनका मिज़ाज ये सब पकड़ना छोटे बच्चे के हाथों तितली पकड़ने जैसा है। उनके जीवन-लेखन- सिनेमा की यात्रा दरअसल फूलों के रास्ते से होकर गुज़री यात्रा है, जिसमें फैली ख़ुशबू ने जाने कितनी रातों को रतजगों में बदल दिया है। गुलज़ार की ज़िन्दगी के सफ़रनामे के ये रतजगे उनके लाखों प्रशंसकों के हैं। आइए, ऐसे अदीब की ज़िन्दगी के पन्नों में उतरते हैं, कुछ सफ़हे पलटते हैं, कुछ बातें सुनते हैं। अपने दौर को हम इस तरह भी साहित्य और सिनेमा के एक सुख़नवर की नज़र से देखते हैं….
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Description
“हमको मन की शक्ति देना…, क्या तुमने लिखा है, गुलज़ार ?’ केदारनाथ सिंह ने सवाल किया।
गुलज़ार – ‘जी, मैंने ही लिखा है।
केदारनाथ सिंह ने इस पर जवाब दिया- ‘मुबारक़!, तुम्हारा काम तुम्हारे नाम से आगे निकल गया है… अब और क्या चाहिए!’
‘चाँद के बग़ैर तो तुम गाना लिख ही नहीं सकते…’ – आशा भोसले
गुलज़ार एक ख़ानाबदोश किरदार हैं, जो थोड़ी दूर तक नज़्मों का हाथ पकड़े हुए चलते हैं और अचानक अफ़सानों की मंज़रनिगारी में चले जाते हैं। फ़िल्मों के लिए गीत लिखते हुए कब डायलॉग की दुनिया में उतर जाते हैं, पता ही नहीं चलता। वे शायरी की ज़मीन से फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखते हैं, तो अदब की दुनिया से क़िस्से लेकर फ़िल्में बनाते हैं।
अनगिनत नज़्मों, कविताओं, ग़ज़लों और फ़िल्म गीतों की समृद्ध दुनिया है गुलज़ार के यहाँ, जो अपना सूफ़ियाना रंग लिये हुए शायर का जीवन-दर्शन व्यक्त करती है। इस अभिव्यक्ति में जहाँ एक ओर हमें कवि के अन्तर्मन की महीन बुनावट की जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर सूफ़ियाना रंगत लिये हुए लगभग निर्गुण कवियों की बोली – बानी के क़रीब पहुँचने वाली उनकी आवाज़ या कविता का स्थायी फक्कड़ स्वभाव हमें एकबारगी उदासी में तब्दील होता हुआ नज़र आता है। इस अर्थ में गुलज़ार की कविता प्रेम में विरह, जीवन में विराग, रिश्तों में बढ़ती हुई दूरी और हमारे समय में अधिकांश चीज़ों के संवेदनहीन होते जाने की पड़ताल की कविता है। इस यात्रा में ऐसे कई सीमान्त बनते हैं, जहाँ हम गुलज़ार की क़लम को उनके सबसे व्यक्तिगत पलों में पकड़ने का जतन करते हैं।
एक पुरकशिश आवाज़, समय ‘आईना बनाकर पढ़ने वाली जद्दोजहद, कविताओं की शक्ल में उतरी हुई सहल पर झुकी हुई प्रार्थना… उनका सम्मोहन, उनका जादू, उनकी सादगी और उनका मिज़ाज ये सब पकड़ना छोटे बच्चे के हाथों तितली पकड़ने जैसा है। उनके जीवन-लेखन- सिनेमा की यात्रा दरअसल फूलों के रास्ते से होकर गुज़री यात्रा है, जिसमें फैली ख़ुशबू ने जाने कितनी रातों को रतजगों में बदल दिया है। गुलज़ार की ज़िन्दगी के सफ़रनामे के ये रतजगे उनके लाखों प्रशंसकों के हैं। आइए, ऐसे अदीब की ज़िन्दगी के पन्नों में उतरते हैं, कुछ सफ़हे पलटते हैं, कुछ बातें सुनते हैं। अपने दौर को हम इस तरह भी साहित्य और सिनेमा के एक सुख़नवर की नज़र से देखते हैं….
About Author
"यतीन्द्र मिश्र -हिन्दी कवि, सम्पादक, संगीत और सिनेमा अध्येता हैं। अब तक चार कविता-संग्रह-यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ, ड्योढ़ी पर आलाप और विभास; शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी पर गिरिजा, नृत्यांगना सोनल मानसिंह से संवाद पर देवप्रिया, शहनाई उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ के जीवन व संगीत पर सुर की बारादरी तथा पार्श्वगायिका लता मंगेशकर की संगीत-यात्रा पर लता: सुर-गाथा प्रकाशित । प्रदर्शनकारी कलाओं पर विस्मय का बखान, कन्नड़ शैव कवयित्री अक्क महादेवी के वचनों का हिन्दी में पुनर्लेखन भैरवी, हिन्दी सिनेमा के सौ वर्षों के संगीत पर हमसफ़र, अयोध्या के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अध्ययन पर आधारित अयोध्या : परम्परा, संस्कृति, विरासत विशेष चर्चित । फ़िल्म निर्देशक व गीतकार गुलज़ार की कविताओं और गीतों के चयन क्रमशः यार जुलाहे तथा मीलों से दिन, अवध संस्कृति पर आधारित गजेटियरशहरनामा : फ़ैज़ाबाद तथा ग़ज़ल गायिका बेगम अख़्तर पर आधारित अख़्तरी सम्पादित पुस्तकें। गिरिजा, विभास, अख़्तरी तथा लता : सुर गाथा का अंग्रेज़ी, यार जुलाहे और मीलों से दिन का उर्दू तथा अयोध्या श्रृंखला कविताओं का जर्मन अनुवाद प्रकाशित ।राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 'स्वर्ण कमल', मामी फ़िल्म पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, रज़ा सम्मान, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, स्पन्दन ललित कला सम्मान, द्वारका प्रसाद अग्रवाल भास्कर युवा पुरस्कार, एच.के. त्रिवेदी स्मृति युवा पत्रकारिता पुरस्कार, महाराणा मेवाड़ सम्मान, हेमन्त स्मृति कविता पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, शमशेर सम्मान, कलिंगा बुक एवॉर्ड से सम्मानित । भारतीय ज्ञानपीठ फेलोशिप, संस्कृति मन्त्रालय, भारत सरकार की कनिष्ठ शोधवृत्ति और सराय, नयी दिल्ली की स्वतन्त्र शोधवृत्ति प्राप्त। दूरदर्शन (प्रसार भारती) के कला-संस्कृति के चैनल डी.डी. भारती के सलाहकार के रूप में कार्यरत (2014-2016) । साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों हेतु भारत के प्रमुख नगरों समेत अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस और अबू धाबी की यात्राएँ। सर्वश्रेष्ठ सिनेमा लेखन के लिए 69वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार ज्यूरी के चेयरमैन, 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार ज्यूरी के सदस्य, 52वें इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल ऑफ़ इंडिया, गोवा की ज्यूरी के सदस्य तथा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार की निर्णायक समिति के सदस्य रहे। अयोध्या में निवास ।ई-मेल : yatindrapost@gmail.comX : @YatindraKiDaak"
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